शायद ऐसी होगी हमारी पहली मुलाकात
हर रोज़ की तरह उस रोज़ भी सवेरा होगा
एक ही आईने में आधा चेहरा तेरा
तो आधा चेहरा मेरा होगा ,
अपनी बन्द खिड़की तू लबों पे मुस्कान लिए खोलेगी
सच्च कहता हूं तेरे गालों पर बिखरे
तेरी जुल्फों को संवारता हवा का झोंका मेरा होगा |
पूरे घर में महकती तेरे हाथों की चाय
और अफरा-तफ़री में बिखेरती " क्या-पहनूं , क्या-पहनूं " अपनी राय
तेरे दिलो-दिमाग में खयाल सिर्फ़ मेरा होगा ,
बड़ा ख़ूबसूरत होगा मेरा आने वाला कल
इंतज़ार के एक-एक लम्हें में
दीदार सिर्फ़ तेरा होगा |
अपने झुमकों को बार-बार बदलती
अपने दुपट्टे को बार-बार संभालती
तेरी नस-नस में बहता इश्क़ का रंग मेरा होगा ,
कुछ पल शांत हो जाएं तेरी धड़कनें
उस ख़ुदा से
एक दुआ मेरा होगा |
सूर्य की जलती धूप से
मंदिर की सीढ़ियों पर बजती तेरी पायल की धुन से
तेरे प्रिय का चेहरा तेरे कृष्ण सा होगा ,
मैं और क्या रंग-रूप बदलू
तेरे सामने खड़ा
तेरा ही आधा जिस्म होगा |



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