कुछ दर्द ज्यादा ही साथ लाया हूं
कुछ गुस्ताखियां कर
मैं वहां से यहां आया हूं ,
माफ़ करना
मैं कुछ दर्द ज्यादा ही अपने साथ लाया हूं |
तो ये बात तबकी हैं
जब मोहब्बत मेरा इंतज़ार किया करती थी ,
छुप-छुप कर पर्दों के ज़रिए
मेरा दीदार किया करती थी |
हमारे दर्मियान फासलों की लकीर
इतनी पतली थी ,
वो जब-जब हस्ती
तब-तब मेरे दिल में उड़ती एक तितली थी |
यूं तो हमारे किस्से
दूर-दूर तक मशहूर थे ,
हीर-रांझा , रोमियो-जूलियट
हमें लगते सारे झूठ थे |
समाज के बनाएं रस्मों-रिवाज
हम बार-बार लांघ जाते थे ,
मौत से नहीं
हम तो जुदाई के शब्द से डर कर मर जाते थे |
हमारे चेहरे कभी सूरज
तो कभी चांद सा खिलखिलाते थे ,
एक ही परछाई में
दो जिस्म समा जाते थे |



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