कुछ दर्द ज्यादा ही साथ लाया हूं

 

A sad man in night or evening

कुछ गुस्ताखियां कर

मैं वहां से यहां आया हूं ,

माफ़ करना

मैं कुछ दर्द ज्यादा ही अपने साथ लाया हूं |


तो ये बात तबकी हैं

जब मोहब्बत मेरा इंतज़ार किया करती थी ,

छुप-छुप कर पर्दों के ज़रिए

मेरा दीदार किया करती थी |


हमारे दर्मियान फासलों की लकीर

इतनी पतली थी ,

वो जब-जब हस्ती

तब-तब मेरे दिल में उड़ती एक तितली थी |


यूं तो हमारे किस्से

दूर-दूर तक मशहूर थे ,

हीर-रांझा , रोमियो-जूलियट 

हमें लगते सारे झूठ थे |


समाज के बनाएं रस्मों-रिवाज 

हम बार-बार लांघ जाते थे ,

मौत से नहीं

हम तो जुदाई के शब्द से डर कर मर जाते थे |


हमारे चेहरे कभी सूरज 

तो कभी चांद सा खिलखिलाते थे ,

एक ही परछाई में

दो जिस्म समा जाते थे |

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