बात उन दिनों की है
जब मै प्रथम वर्ग में पढ़ते थे ,सब दिन की तरह मैं अपना बैग लिया और स्कूल के तरफ निकल गया , रास्ते मे एक छोटा बाज़ार पड़ता था , वहां देखे बहुत सारे स्टूडेंट लोग गिफ्ट स्टोर और बुक स्टोर पड़ भीड़ जमाए हुए थे ,मुझे कोतूहल हुआ मै भी देखने चला गया ,सभी गिफ्ट पैक करा रहे थे , पूछने पड़ पता चला आज तो शिक्षक दिवस "है
तो मैंने भी गिफ्ट पैक कराया ,मुझे कुछ नहीं पता था क्यों मनाया जाता है ,क्या क्या होता है बस सब ले रहे थे तो मै भी ले लिया , स्कूल पहुंचा तो अलग ही माहौल था सभी लोग पढ़ाई करने के बजाय एक फोटो के आसपास खड़े थे ,और कुछ लोग उसके आसपास सजावट में लगे थे,मुझे समझ में नहीं आया ये पगड़ी पहने और चश्मा लगाए हुए आदमी आखिर है कोन? जिसके लिए इतना कुछ हो रहा है!
जब सर लोग आए और उनके बारे में बताए तब पता चला वो कितने महान व्यक्ति थे , जी हां वही महान शिक्षक और स्वतंत्र भारत के पहले उपराष्ट्रपति और दूसरे राष्ट्रपति डॉ सर्वपल्ली राधाकृष्णन ! अब जब भी 5 सितंबर सुनता हूं तो मुझे शिक्षक दिवस और इस महान शिक्षक डॉ सर्वपल्ली राधाकृष्णन के बारे में याद आ जाती है
दोस्तों आज मै राधाकृष्णन सर के जीवनी के बारे में भी बात करेंगे और शिक्षक दिवस पड़ भी और कुछ कॉट्स भी शेयर करेंगे आपलोगो से जिसे आप अपने सोशल मीडिया पड़ शेयर कर सकते है
आयिए पहले इस महान दिवस के बारे में कुछ बात करते है
"गुरुर्ब्रह्मा ग्रुरुर्विष्णुः गुरुर्देवो महेश्वरः । गुरुः साक्षात् परं ब्रह्म तस्मै श्री गुरवे नमः ॥"
इसका अर्थ है :-
गुरु ब्रह्मा है, गुरु विष्णु है, गुरु हि शंकर है; गुरु हि साक्षात् परब्रह्म है; उन सदगुरु को प्रणाम ।
राधाकृष्णन सर कहते थे शिक्षक वह नहीं जो छात्रों के दिमाग़ में तथ्यों को जबरन ठुसे , बल्कि वास्तविक शिक्षक तो वह है जो उसे आने वाले कल की चुनौतियों के लिए तैयार करें,
गुरु के बहुत रूप होते हैं हमारे लाईफ में प्रथम गुरु माता - पिता को कहा जाता है , हमारी शिक्षा वही से शुरू होती है , उसके बाद हमारी शिक्षा विद्यालयों में शुरू होती है , हमारे देश में गुरुओं को काफी उच्च सम्मान दिया जाता है ,चाहे वे किसी भी क्षेत्र के गुरु क्यों न हो , गुरु हमेशा गुरु होते है जो हमें सही राह पड़ चलना सिखाते है , सच्चे गुरु ज्ञान के साथ हमें मानवता का भी ज्ञान देते है , इसलिए हमलोग गुरुओं के सम्मान में और डॉ सर्वपल्ली राधाकृष्णन के जन्मदिन के याद में शिक्षक दिवस मनाते है!
डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन का जन्म 5 सितंबर 1888 में तमिलनाडु के तिरुतनी गॉव में एक गरीब परिवार में हुआ था. आर्थिक रूप से कमजोर होने के बावजूद पढाई-लिखाई में उनकी काफी रुची थी. आरंभिक शिक्षा इनकी तिरूवल्लुर के गौड़ी स्कूल और तिरूपति मिशन स्कूल में हुई थी. फिर मद्रास क्रिश्चियन कॉलेज से उन्होंने अपनी पढाई पूरी की थी. 1916 में उन्होंने दर्शन शास्त्र में एम.ए. किया और मद्रास रेजीडेंसी कॉलेज में इसी विषय के सहायक प्राध्यापक का पद संभाला. 16 वर्ष की आयु में उनका विवाह 1903 में सिवाकामु के साथ हो गया था. वर्ष 1954 में शिक्षा और राजनीति में उत्कृष्ट योगदान देने के लिए उन्हें भारत सम्मान से नवाजा गया.हम आपको बता दें कि राजनीति में आने से पहले उन्होंने अपने जीवन के 40 साल अध्यापन को दिए थे. उनका मानना था कि बिना शिक्षा के इंसान कभी भी मंजिल तक नहीं पहुंच सकता है. इसलिए इंसान के जीवन में एक शिक्षक होना बहुत जरुरी है.
भारत में स्वतंत्रता प्राप्त करने के बाद राधाकृष्णन को जवाहरलाल नेहरु ने राजदूत के रूप में सोवियत संघ के साथ राजनयिक कार्यों की पूर्ति करने का आग्रह किया. 1952 तक वह इसी पद पर रहे और उसके बाद उन्हें उपराष्ट्रपती नियुक्त किया गया. राजेन्द्र प्रसाद का कार्यकाल 1962 में समाप्त होने के बाद उनको भारत का दूसरा राष्ट्रपति बनाया गया. 17 अप्रैल 1975 में लंबे समय तक बीमार रहने के बाद उनका निधन हो गया.
गुरु के बिना लोग कुछ भी नहीं बन सकते ना डॉक्टर ना इंजिन्यर ना कोई काम ,हरेक चीज में गुरु की आवश्यकता होती है, हमें गुरू का हमेशा सम्मान करना चाहिए,
भारत में शिक्षक दिवस के दिन दिन स्कूलों में पढ़ाई नहीं होती हैं, उत्सव, कार्यक्रम आदि होते हैं. शिक्षक अपने टीचर्स को गिफ्ट देते हैं. कई प्रकार कि सांस्कृतिक गतिविधियाँ होती है जिसमे छात्र और शिक्षक दोनों ही भाग लेते है. गुरु-शिष्य परम्परा को कायम रखने का संकल्प लेते हैं.यह दिन शिक्षक और छात्रों अर्थार्थ यू कहें तो समाज के लिए भी बहुत महत्वपूर्ण होता है. इसी दिन शिक्षको को मान-सम्मान देकर उनके काम की सराहना करते है.
आयिये मैं आप लोगों के लिए शिक्षक दिवस कुछ कॉट्स बनाए है :-
'गु'कार याने अंधकार, और 'रु'कार याने तेज; जो अंधकार का (ज्ञान का प्रकाश देकर) निरोध करता है, वही गुरु कहा जाता है ।"
"शिक्षक वह नहीं जो छात्रों के दिमाग़ में तथ्यों को जबरन ठुसे , बल्कि वास्तविक शिक्षक तो वह है जो उसे आने वाले कल की चुनौतियों के लिए तैयार करें,"
दोस्तों मै आनंद कुमार, बहुत बहुत धन्यवाद आपलोगों को हमारी इस छोटी सी रचना को पढ़ने के लिए ,आशा करता हूं आपको अच्छा लगा होगा ,मै और भी रचनाएं , कविता, कहानी निबंध लाता रहूंगा आपके लिए
आप सभी को शिक्षक दिवस की शुभकामनाएं 🙏🙏🙏
अंत में बस इतना कहना चाहूंगा यदि आपको ये रचना अच्छा लगा तो दोस्तो के साथ शेयर कर दीजियेगा 🙏
Comments
Post a Comment