वो आखिरी मुलाकात
" अच्छा बताओ , अगर किसी दिन तुम उठो और मैं तुम्हें ना मिलू तो तुम क्या करोगे ?
नहीं..नहीं.. नहीं.. मैं मौत की बात नहीं कर रही हूं |
समझो तुमसे नाराज़ होकर , तुमसे लड़-झगड़ कर
तुमसे और तुम्हारी ज़िन्दगी से बहुत ही दूर चली गई तो तुम क्या करोगे ?
" ये कैसा सवाल हैं ?
" बताओ ना... Please !
" मैं क्या करूंगा ?
देवदास तो पक्का नहीं बनूंगा ( मुस्कुराते हुए ) |
बाकियों की तरह ना शराब पिऊंगा , ना drugs लूंगा
ना कोई Crime करूंगा और ना ही अपनी जान दूंगा |
" जवाब तो दे दिया तुमने पर आधा-अधूरा |
ये तक नहीं बताया कि तुम करोगे क्या ?
" मुझे बोलने दोगी की नहीं ?
" अच्छा बाबा ठीक हैं , तुम ही बोलो अब |
" मैं ...
" हां , मैं के आगे ?
" Sussshhhh.... तुम सब कुछ तो जानती ही हो ,
पर शायद मैं शायर बनूं |
या लेखक , या कोई मशहूर गज़लकार |
तुम्हारे साथ बिताए लम्हों में मैं कई बार मर कर ज़िंदा हुआ हूं |
तुम्हारे प्यार में जैसे अमृत सा हैं ,
जो ना मुझे कभी मरने देगा
और ना ही कभी बूढ़ा होने देगा ( मुस्कुराते हुए ) |
" ओह हो ..!! क्या बात हैं हुज़ूर |
आपने तो पल भर के लिए मुझे अपने शब्दों में भटका दिया |
अब चलिए , बहुत देर हो गई हैं |
अगर अब इससे देर हुईं तो मम्मी मुझे मार डालेंगी |
रोज़ कोई ना कोई झूठ बोल कर तुमसे मिलने आ ही जाती हूं |
हम कल मिलते हैं , तब तक के लिए तुम अपना खयाल रखना |
" कल ...?
नहीं जानता था कि वो हमारी आख़िरी मुलाक़ात
सच-मूच की आख़िरी थी |
तुम मुझे उस कल के लिए छोड़ गई
जो कभी आया ही नहीं |
और उस कल..कल.. कल के इंतज़ार में
आज २ साल बीत गए हैं
पर वो तुम्हारा कल आया ही नहीं |
मैं हर रोज़ किसी ना किसी बहाने से
अपने उस कल के लिए यहां आ ही जाता हूं |
लोगों की भीड़ भी हर रोज़ होती हैं यहां पर
पर उन चेहरों में वो चेहरा नहीं होता
जिसकी मुझे तलाश रहती हैं |
अगर तुम्हें बताऊं कि क्या-क्या बदला हैं इन २ सालों में
तो मेरा जवाब सिर्फ़ एक ही होगा ... " बहुत " |
यहां तक कि मेरा favourite song भी |
वो english के गाने तो मैं अब बिल्कुल भी नहीं सुनता |
यहां पर आते ही ऐसा मेहसूस होता हैं जैसे कि
तुम मेरे पास हो , यहीं मेरे बग़ल में |
ये लहरें , ये झुंड-झुंड में उड़ते पंछी
सब कुछ पहले जैसा ही मेहसूस होता हैं |
" सागर किनारे , दिल ये पुकारे
तू जो नहीं तो मेरा... कोई नहीं हैं
सागर किनारे ...
इस गाने को मैं ठिक यहीं रोक देता हूं |
हां , बिल्कुल यहीं |
" सागर किनारे , दिल ये पुकारे ...
क्यूंकि मैं आज भी पिछले २ सालों से तुम्हें Call करता हूं
और हर बार की तरह बिना कुछ किए ही
Call automatic ही cut हो जाता हैं |
शायद तुमने अपना number change कर दिया हैं |
इस वक़्त , इस जगह , इन लहरों से
इस किनारे से एक अलग ही रिश्ता बन गया हैं |
और ये मत सोचना कि मैं तन्हा और बिल्कुल अकेला हूं |
Naah...naah... तुम हो ,
आज भी , यहीं ... बिल्कुल मेरे साथ |



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