बचपन के वो दिन
गांव की गलियों में बहुत कुछ छोड़ आए हम
वह दोस्तों के संग शरारतबरसात में दोस्तों के साथ पानी में कूदना
और दौड़ना

वो सोन पापड़ी वाले की भोपू की आवाज सुनकर दौड़ना
मीठे बर्फ वाले की डमरू की आवाज अभी भी कानों में सुनाई देती है
कैसे हम लोग दौर के चले जाते थे,

फिर एक जगह बैठकर के आपस में बर्फ खाते थे
सच में बचपन बहुत खूबसूरत था।
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